
झांसी से कपिल शर्मा की रिपोर्ट
झांसी। जिले में वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत दर्जनों बुजुर्गों को जीवित होने के बावजूद मृतक घोषित कर उनकी पेंशन बंद कर दिए जाने का गंभीर मामला सामने आया है। इस लापरवाही और प्रशासनिक अनदेखी पर गरौठा विधायक जवाहर राजपूत ने कड़ा एतराज जताते हुए प्रमुख सचिव समाज कल्याण को पत्र सौंपकर दोषियों पर कार्रवाई और वंचित वृद्धजनों की पेंशन तत्काल बहाल किए जाने की मांग की है।
विधायक राजपूत ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके विधानसभा क्षेत्र गरौठा समेत पूरे झांसी जनपद में वार्षिक भौतिक सत्यापन के दौरान बड़ी संख्या में जीवित पेंशनधारकों को मृतक घोषित कर पेंशन बंद कर दी गई। इससे गरीब बुजुर्ग लाभार्थी बीते दो-तीन वर्षों से पेंशन से वंचित होकर विभागीय दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में कई बार जिलाधिकारी झांसी, मुख्य विकास अधिकारी और जिला समाज कल्याण अधिकारी को लिखित रूप में वंचित लाभार्थियों की सूची सौंपकर पेंशन पुनः चालू कराने की मांग की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इससे वृद्धजनों में आक्रोश और गहरी नाराजगी है।
ये हैं वंचित पेंशनधारक
विधायक राजपूत ने प्रमुख सचिव को जिन 60 वृद्धजनों की सूची सौंपी है, उनमें सबरानी मनभारनपुरा मोंठ, अवध रानी देवरा, बुदू कुशवाहा गुरसराय, कमला रानी स्किल बामौर, रामकिशन पाड़री चिरगांव, गुलाब रानी कुरेठा बामौर, रामरति स्किल बामौर, अवध रानी ताई जागीर झांसी, पान कुमार लोहागढ़, प्रेम नारायण नगर पंचायत एरच, सीताराम पटकन गुरसराय, कृष्णा देवी प्रतापपुर बामौर, सुखरानी बगैरा चिरगांव, जमुना प्रसाद बिलाटी खेत, प्रेम दुलिया बिलाटी खेत बामौर, रामकली बारू गुरसराय, घणाराम आस्था बामौर, रितु एवनी गुरसराय, राममूर्ति मोंठ, कस्तूरी देवी, बेसन बाई मोंठ, जानकी प्रसाद सिया बामौर, बेटी भाई धनोरा बामौर सहित 60 बुजुर्ग शामिल हैं।
विधायक ने की न्याय की मांग
विधायक ने प्रमुख सचिव समाज कल्याण से मांग की कि इन सभी वृद्धजनों की पेंशन तत्काल प्रभाव से चालू करवाई जाए। साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही और बुजुर्गों के साथ अन्याय न हो।
प्रशासनिक लापरवाही से बुजुर्ग बेहाल
इस प्रकरण ने एक बार फिर जिले की समाज कल्याण विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जीवित वृद्धजनों को मृत घोषित कर पेंशन रोक देना न सिर्फ लापरवाही है, बल्कि सामाजिक और मानवीय संवेदनाओं का भी खुला अपमान है। बुजुर्ग पेंशनधारक न्याय की आस लगाए विभाग के चक्कर काट रहे हैं। अब देखना होगा कि प्रमुख सचिव समाज कल्याण इस मामले में क्या ठोस कदम उठाते हैं।